रिटायरमेंट के बाद मेंटल हेल्थ को सही रखेंगे ये टिप्स

Published:Nov 30, 202309:52
0


बहुत लोगों के लिए सेवानिवृत्ति का मतलब रिलैक्सेशन और एन्जॉयमेंट है और यह रिटायरमेंट रोमांचक हो सकता है। लेकिन, रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी कुछ लोगों के लिए कठिन भी हो सकती है। इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स एंड द एज एंडेवर फैलोशिप, लंदन द्वारा प्रकाशित एक नए अध्ययन में कहा गया है, रिटायरमेंट के बाद मेंटल हेल्थ प्रभावित होती है। कुछ सेवानिवृत्त लोगों को अक्सर यह चिंता रहती है कि रिटायरमेंट के बाद उनके जीवन का उद्देश्य खत्म हो जाएगा, वे क्या करेंगे, दिनभर ऊब जाएंगे जैसी तमाम बातें वृद्ध व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को बिगाड़ सकती हैं। लेकिन, अच्छी बात यह है कि समय रहते अगर ध्यान दिया जाए तो उनकी मेंटल हेल्थ ठीक भी रह सकती है। इंटरनेशनल डे ऑफ द ओल्डर पर्सन्स (1 अक्टूबर) पर जानते हैं कि रिटायरमेंट के बाद बुजुर्ग लोगों की मेंटल हेल्थ पर क्या प्रभाव पड़ता है? उनके बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए हम-आप क्या कर सकते हैं?

और पढ़ें : World Senior Citizen day : जानें बुजुर्ग कैसे रख रहे हैं महामारी के समय अपना ध्यान

वृद्ध लोग और उनका मानसिक स्वास्थ्य

  • मानसिक स्वास्थ्य और तंदरुस्ती वृद्धावस्था में उतनी ही जरूरी है जितनी जीवन के किसी अन्य समय में महत्वपूर्ण होती है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के आंकड़े की बात करें तो 60 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 15% वयस्क एक मानसिक विकार (mental disorder) से पीड़ित हैं।
  • 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के वृद्ध घर, परिवार और समाज के लिए महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। कुछ बुजुर्ग लोगों का मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहता है, तो कई वृद्ध वयस्कों को मानसिक विकार विकसित होने का खतरा भी रहता है।
  • बुजुर्गों में डायबिटीज, हियरिंग लॉस (hearing loss), क्रोनिक ऑस्टियोअर्थराइटिस, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज आदि बीमारियों के साथ-साथ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर (neurological disorder) की संभावना बढ़ जाती हैं।
  • मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति किसी को भी किसी भी समय प्रभावित कर सकती है। बियॉन्डब्लू (ऑस्ट्रेलियाई मेंटल हेल्थ एंड वेल बीइंग सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन) का कहना है कि लगभग 10 से 15% बुजुर्ग व्यक्ति रिटायरमेंट के बाद मेंटल हेल्थ को प्रभावित महसूस करते हैं। वे ज्यादातर अवसाद का अनुभव करते हैं और 10% लोग एंग्जायटी फील करते हैं। वहीं, घरों में रहने वाले वृद्ध लोगों में डिप्रेशन की दर 35% तक बढ़ जाती है।

और पढ़ें : वृद्धावस्था में दवाइयां लेते समय ऐसे रखें ध्यान, नहीं होगा कोई नुकसान

रिटायरमेंट के बाद मेंटल हेल्थ : बुजुर्गों की ऐसे करें मदद

रिटायरमेंट के बाद एल्डर लोगों की मेंटल हेल्थ को सपोर्ट करने के लिए आप कई कदम उठा सकते हैं। जैसे-

शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें

सेवानिवृत्ति के बाद घर के लोगों को चाहिए कि वे बुजुर्गों की सेहत का ज्यादा से ज्यादा ध्यान दें। उनकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ को सपोर्ट करने के लिए बुजुर्ग व्यक्ति को संतुलित भोजन, पर्याप्त नींद और पर्याप्त मात्रा में पानी पीने के लिए प्रोत्साहित करें। इससे मूड और एनर्जी का स्तर मेंटेन रहता है।

और पढ़ें : बच्चे हो या बुजुर्ग करें मुंह की देखभाल, नहीं हो सकती हैं कई गंभीर बीमारियां

जिंदगी का उद्देश्य ढूंढने में करें मदद

लाइफ एक मीनिंगफुल पर्पस का होना वास्तव में मेंटल वेल-बीइंग के लिए महत्वपूर्ण है। यह आपको सुबह उठने के लिए प्रेरित करता है और आपके दिन को सार्थक बनाता है। क्योंकि ऐसा नहीं है कि वर्किंग लाइफ खत्म होने के बाद जीवन का उद्देश्य खत्म हो जाता हो। इसलिए, मीनिंगफुल एक्टिविटीज में उन्हें बिजी रखें जैसे-

  • पेंटिंग, ड्रॉइंग, डांसिंग या राइटिंग जैसी रचनात्मक गतिविधि के लिए उन्हें मोटिवेट करें।
  • वॉलंटरिंग एक ऐसा तरीका है जिससे दूसरों की मदद करके लाइफ का पर्पस हासिल कर सकते हैं। समय और विशेषज्ञता के आधार वॉलंटरिंग करने के कई तरीके हैं। इसके लिए किसी लोकल ऑर्गेनाइजेशन से संपर्क करें।
  • बागवानी के लिए प्रेरित करें। गार्डनिंग से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा हो सकता है। इसके लिए गार्डन, टेरेस या कम्युनिटी गार्डन को चुनें।

और पढ़ें : बुजुर्गों को क्यों है क्रिएटिव माइंड की जरूरत? जानें रचनात्मकता को कैसे सुधारें

रिटायरमेंट के बाद मेंटल हेल्थ : संपर्क बढ़ाने में करें हेल्प

  • सोशल इंटरैक्शन (social interaction) मेंटल हेल्थ के लिए महत्वपूर्ण है। दूसरों के साथ हेल्दी कनेक्शन डेवलप करना चिंता और अवसाद के स्तर को कम कर सकता है।
  • सोशल मीडिया का उपयोग करके एल्डर लोगों को पुराने दोस्तों के साथ फिर से कनेक्ट करें।
  • सप्ताह में एक बार खाने पर या चाय पर उनके किसी सहकर्मी या फ्रेंड को इंवाइट करें।
  • त्योहारों या संगीत कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए कहें।
  • यदि आध्यात्मिकता की ओर रुचि है, तो उन्हें पूजा स्थल पर होने वाले कार्यक्रमों या सेवाओं में भाग लेने के लिए प्रेरित करें।

और पढ़ें : जानें एल्डर एब्यूज को कैसे पहचानें और कैसे इसे रोका जा सकता है

लोगों के साथ इंगेज करें

उनसे कहें कि आपके रिटायर होने का मतलब यह बिलकुल नहीं है कि खुद को घर में कैद कर लेना है। उनसे नई चीजों को ट्राई करने को कहें। उन्हें किसी स्पोर्ट्स क्लब (sports club) या सपोर्ट ग्रुप को ज्वाइन करने के लिए प्रेरित करें जहां उनके आयु वर्ग के लिए गतिविधियां होती हैं।

हेल्थ कंसर्न को जानिए

शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में चिंता एक ऐसी बात है जो बुजुर्गों की रिटायरमेंट के बाद मेंटल हेल्थ को प्रभावित करती हैं। इसलिए, जरूरी आप घर के वृद्ध लोगों के पास बैठें और उनकी इस चिंता के बारे जानने की कोशिश करें। उम्र और लिंग के आधार पर, शरीर में गंभीर बीमारियों के शुरुआती लक्षणों का पता लगाने के लिए नियमित रूप से उन्हें डॉक्टर को दिखाएं।

और पढ़ें : 4-7-8 ब्रीदिंग तकनीक, तनाव और चिंता दूर करेंगी ये एक्सरसाइज

रिटायरमेंट के बाद मेंटल हेल्थ : सेफ फील कराएं

स्टेबल और सिक्योर महसूस करना वास्तव में मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। इसमें घर और अपने आस-पड़ोस में सुरक्षित महसूस करना, वित्तीय रूप से सुरक्षित महसूस करना और अपने करीबी रिश्तों और कम्युनिटी का सपोर्ट महसूस करना शामिल हो सकता है। जब बुजुर्ग व्यक्ति सुरक्षित महसूस करता है, तो वह बेहतर तरीके से रिलैक्स कर सकता है और अपनी इच्छानुसार जीवन जीने के लिए फ्री फील करता है। इसलिए, यदि आप चाहते हैं कि घर के बुजुर्ग लोगों की रिटायरमेंट के बाद मेंटल हेल्थ (mental health) दुरुस्त रहें, तो उन्हें सुरक्षित महसूस कराएं।

और पढ़ें : बुजुर्गों के स्वास्थ्य के बारे में बताता है सीनियर सिटीजन फिटनेस टेस्ट

ध्यान दें मेंटल हेल्थ पर

चिंता या अवसाद जैसी मानसिक स्वास्थ्य स्थितियां किसी भी उम्र के लोगों को कभी-भी प्रभावित कर सकती हैं। लेकिन, 60 वर्ष से अधिक आयु वालों में यूनिपोलर डिप्रेशन 7% ज्यादा देखने को मिलता है। हालांकि, डिप्रेशन के लक्षण को समझकर इसे कम किया जा सकता है। इन लक्षणों को अक्सर फैमिली मेंबर्स अनदेखा कर देते हैं। यदि दो सप्ताह या उससे अधिक समय से बुजुर्ग इंसान दुःखी, चिंतित, तनावग्रस्त, क्रोधित दिखे, तो उन्हें मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल के पास ले जाएं। डॉक्टर काउंसलिंग के जरिए इसका कारण पता लगाने की कोशिश करेंगे ताकि उचित ट्रीटमेंट दिया जा सके।

और पढ़ें : डिप्रेशन का आयुर्वेदिक इलाज क्या है? आयुर्वेद के अनुसार क्या करें और क्या न करें?

वृद्ध वयस्कों में अवसाद के लक्षण क्या हैं?

बुजुर्गों में अवसाद को पहचानने के लिए इन संकेतों पर ध्यान दें:

  • उदासी या निराशा की भावना,
  • समाजीकरण (socializing) या शौक में रुचि कम होना,
  • वजन कम होना या भूख कम लगना,
  • निराशा या लाचारी की भावना,
  • प्रेरणा और ऊर्जा की कमी,
  • नींद की समस्या (सोते रहने में कठिनाई या दिन में नींद आना),
  • सेल्फ वर्थ कम होना (खुद फॅमिली पर एक बोझ मानना या आत्म-घृणा),
  • सुस्त चाल,
  • शराब या अन्य दवाओं का बढ़ता उपयोग,
  • आत्महत्या के विचार आना या सुसाइड के बारे में बात करना,
  • याददाश्त की समस्या,
  • पर्सनल केयर को अनदेखा करना (खाना स्किप करना, दवाओं को भूलना, पर्सनल हाइजीन की उपेक्षा करना) आदि।

जबकि अवसाद और उदास रहना एक साथ चलते हैं। लेकिन, कई डिप्रेस्ड सीनियर सिटीजन उदास महसूस नहीं करते हैं। उदासी और निराशा की बजाय, उनमें कम मोटीवेशन, ऊर्जा की कमी या शारीरिक समस्याएं देखने को मिलती हैं। वास्तव में, शारीरिक शिकायतें, जैसे गठिया का दर्द या बिगड़ता सिरदर्द, अक्सर बुजुर्गों में अवसाद के प्रमुख लक्षण होते हैं। इसलिए, जरूरी है कि उनके सभी लक्षणों पर नजर रखें।

हैलो हेल्थ ग्रुप चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है

संबंधित लेख:


To stay updated with the latest Bollywood news, follow us on Instagram and Twitter and visit Socially Keeda, which is updated daily.

sociallykeeda profile photo
sociallykeeda

SociallyKeeda: Latest News and events across the globe, providing information on the topics including Sports, Entertainment, India and world news.