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जानें कहा तक पहुंची है कोराेना की वैक्सीन और आने वाले साल में इसका प्रभाव कैसा रहेगा

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साल खत्म होने को आया है, लेकिन अभी तक कोरोना का कहर खत्म नहीं हुआ है। हर किसी के दिमाग में पहले सबसे पहले यही ख्याल आता है कि  हमारी लाइफ पहले जैसे कब होगी।  कोरोना वायरस जैसा खतरनाका वायसर लगातार लोगों को अपनी चपेट में ले चुका है। हर कोई इसकी वैक्सीन के इंतजार में है कि कब वो आएगी। लोगों को कब से इसका इंतजार है और कई देशो में लोगों को कोरोना वैक्सीन दिए जाने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। तो आइए जानते हैं कि दुनिया भर में कोरोना वैक्सीन को लेकर कि कहां तक पहुंची कोरोना वैक्सीन और आने वाले साल में इसका क्या प्रभाव रहेगा।

आने वाले साल में कोरोना वैक्सीन का प्रभाव : जानें इस पर एक्सपर्ट की राय

इस पूरे साल यानी कि 2020 में ही लोगों को पूरी उम्मीद थी कि कोरोना की वैक्सीन उन तक पहुंच जाएगी, पर इंतजार अभी भी बना हुआ है। साल खत्म होने को आया है, लेकिन आने वाले साल की जनवरी तक ये लोगों को मिल जाएगी, ऐसी उम्मीद की जा रही है। वैक्सीन बनाने वाली कुछ कंपनियों को देश की दवा नियामक संस्था से वैक्सीन के अपातकालीन इस्तेमाल की हरी झंडी मिल सकती है। रिपोर्ट के अनुसार दो कंपनियों ने पहले ही वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की अर्जी दे दी है। इसके अलावा और भी कई कंपनियां, वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल के दौर में लगी हुई हैं। अगर  टीकाकारण योजना  पर ध्यान दें, तो अगस्त महीने तक 30 करोड़ लोगों का टीकाकरण का अनुमान लगाया जा रहा है। अगर कोराेना के शिकार मरीजों की संख्या की तरफ ध्यान दें, तो भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण के कुल मामले एक करोड़ तक पहुंच जाएगें, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है। हालांकि अब भारत में संक्रमण के नए मामलों में गिरावट आई है। लेकिन ऐसे वक्त में भी टीकाकरण की प्रक्रिया क्या होगी, ये समय पर ही पता चलेगा। –  डॉक्टर अशोक रामपाल, जनरल फिजिश्यन, सफदरजंग हॉस्पिटल।

ये अनुमान लगाया जा रहा है कि साल 2021 में आधे लोगों तक का टीकाकरण कर हो जाएगा। लेकिन असल में कब तक लोगों तक वैक्सीन पहुंचेगी, ये अभी सही से कहा नहीं जा सकता है। कोरोना की वैक्सीन को लेकर कई अलग-अगल देशों में काम चल रहा है और कई दवा कंपनियों ने अपने ट्रायल की प्रक्रिया भी पूरी कर ली है।  वैक्सीन को लेकर विशेषज्ञों के की मानें तो सीरम इंस्टीट्यूट कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित वैक्सीन का उत्पादन कर रहा है। जोकि 70 से 90 प्रतिशत तक प्रभावी अनुमानित किया जा रहा है। इसके अलावा नेपाल ने भी भारत में अपनी वैक्सीन देने की दिलचस्पी दिखायी है। नेपाल द्वारा भारत की  20 प्रतिशत आबादी को वैक्सीन देने की कोशिश की जाएगी। ऐसा दो चरणों में होगा। – डॉक्टर रजनीष श्रीवास्तव, लोहइया हॉस्पिटल।

ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों ने जहां अपने यहां इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए कोरोना वैक्सीन की इजाजत दे दी है और वहां टीकाकरण शुरू भी हो चुका है, ऐसे में भारत के लोगों के मन में यह सवाल उठना लाजमी ही है कि हमारे देश में आखिर कब तक आएगी कोरोना की वैक्सीन? अब तक जो तस्वीर सामने आ रही है और सरकार की ओर से जो दावा किया जा रहा है उससे तो यही लग रहा है कि नए साल नई उम्मीद लेकर आ रहा है। सरकारी दावों के अनुसार, जनवरी से भारत में भी कोरोना का टीका उपलब्ध हो जाएगा। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया जो ऑक्सफोर्ड के साथ मिलकर कोरोना कि वैक्सीन बना रही है, के प्रमुख अदार पूनावाला ने भी उम्मीद जताई है कि जल्द ही भारतवासियों को टीका मिल जाएगा। उनका कहना है कि वह 4-5 करोड़ डोज तैयार कर चुके हैं और यदि वैक्सीन को मंजूरी मिलती है तो वह जुलाई 2021 तक 30 करोड़ डोज तैयार कर लेंगे।

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किसे मिल सकती है इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी?

भारत में दो दवा कंपनियों ने कोरोना वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए आवेदन किया जिसमें से एक है सीरम इंस्टीट्यूट और ब्रिटेन की फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राज़ेनेका की ओर से तैयार कोविशील्ड वैक्सीन और दूसरी है कोवैक्सीन, जिसे भारत बायोटेक और आईसीएमआर ने बनाया है। उम्मीद की जा रही है कि नए साल में इन दोनों वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिल सकती है।

भारत में  कौन-कौन सी कोरोना वैक्सीन से उम्मीद

भारत में कई वैक्सीन जहां तीसरे फेस के ट्रायल में है तो कई का क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है, तो कुछ विदेशी वैक्सीन के लिए कंपनियों से बातचीत चल रही है। आइए, जानते हैं ऐसी कुछ वैक्सीन के बारे में जिनसे ज्यादा उम्मीद जताई जा रही है।

कोविशील्ड (Covishield)

भारत में जिस कोरोना वैक्सीन के सबसे ज्यादा असरदार होने की उम्मीद की जा रही है वह है ऑक्सफोर्ड और एस्ट्रेजेनका द्वारा बनाई जा रही कोविशील्ड। भारत में इस वैक्सीन को सीरम इंस्टीट्यूट बना रही है। ऑक्सफोर्ड ने ट्रायल के दौरान इसे बहुत असरकारक मानाह है। ऑक्सफोर्ड के अनुसार वैक्सीन कोरोना पर प्रभावी रूप से असर करती है। इसकी पहली डोज 90 फीसदी और दूसरी डोज को 62 फीसदी सफल माना जा रहा है। भारत में इसे जनवरी तक इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

कोवैक्सीन (COVAXIN)

यह स्वदेशी वैक्सीन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी द्वारा हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कंपनी के साथ मिलकर तैयार हो रही है। इसका ट्रायल तीसरे फेज में हैं और इसमें 26,000 लोगों पर टेस्ट हो रहा है। ट्रायल के दौरान इसे 60 प्रतिशत तक कामयाब माना जा रहा है। माना जा रहा है कि कंपनी वैक्सीन की करीब 500 मिलियन डोज बनाने की तैयारी में है। इसकी खासियत यह है कि इसे बिना फ्रिजर के ही स्टोर किया जा सकता है। इसे सामान्य फ्रीज में 2 से 8 डिग्री टेम्प्रेचर पर रखा जा सकता है। यानी यदि इसे मंजूरी मिलती है तो इसे दूर-दराज के इलाकों तक पहुंचाना आसान होगा।

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जायकोव डी (Zycov D)

जायकोव डी तीसरी वैक्सीन है जिसे थर्ड फेज के ट्रायल की मंजूरी मिल चुकी है। यह वैक्सीन अहमदाबाद की जाइडस कैडिला लैब में बन रही है। इस वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल का रिजल्ट काफी अच्छा रहा, इसलिए इससे बहुत उम्मीदे हैं। कंपनी का कहना है कि इसकी एक ही डोज दी जाएगी। मार्च 2021 तक इसका थर्ड फेज का ट्रायल पूरा हो जाने की उम्मीद है।

स्पुतनिक (Sputnik V)

रूस की स्पुतनिक V वैक्सीन का रूस में तो इस्तेमाल शुरू भी हो चुका है। लेकिन भारत में फिलहाल इसका ट्रायल चल रहा है। वैक्सीन बनाने वाली कंपनी का दावा है कि यह टीका 91 फीसदी तक कारगर है और इसे माइनस 18 डिग्री टेम्प्रेचर में स्टोर किया जा सकता है।

फाइजर की BNT162b2 वैक्सीन

अमेरिका और ब्रिटेन में इस वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत मिल चुकी है और वहां टीकाकरण शुरू भी हो गया है। यह वैक्सीन बेल्जियम में बनी है। यह आरएनए बेस्ड है और इसे ट्रायल में 95 फीसदी तक सफल माना गया है। फाइजर अपनी कोविड वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए भारतीय दवा नियामक- ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से अनुमति मांगी है। हालांकि इसे स्टोर करने के लिए माइनस 70 डिग्री का तापमान चाहिए जिसे देखते हुए यह भारत के लिए उचित नहीं लग रही है।

मॉडर्ना (Moderna) की mRNA-1273 वैक्सीन

अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना की वैक्सीन mRNA-1273 को भी काफी कारगर माना जा रहा है। इसे अमेरिका में पहले ही आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिल चुकी है। कंपनी का दावा है कि उसकी वैक्सीन 94.5 फीसदी तक सफल रही है। इसे माइनस 20 डिग्री के तापमान पर स्टोर किया जा सकता है। माना जा रहा है कि इस वैक्सीन से बनी इम्युनिटी 3-4 महीने तक रह सकती है।

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बायोलॉजिकल (Biological E) की Ad26.COV2.S वैक्सीन

हैदराबाद की कंपनी Biological E लिमिटेड और जॉनसन एंड जॉनसन मिलकर इस वैक्सीन को बना रही है। यह सिंगल डोज वैक्सीन है जिसके फर्स्ट और सेकेंड फेज का ट्रायल चल रहा है।

Gennova Biopharmaceuticals की वैक्सीन

पुणे स्थित Gennova Biopharmaceuticals में भी एक वैक्सीन पर काम चल रहा है जिससे देश को काफी उम्मीद हैं। कहा जा रहा है कि इसे 2 से 8 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर स्टोर किया जा सकता है।

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किन देशों में शुरू हो चुका है टीकाकरण?

भारत में अगले साल तक वैक्सीन आने की उम्मीद है, और टीकाकरण को लेकर सरकार ने तैयारियां भी शुरू कर दी है। लेकिन दुनिया के कई देश ऐसे भी हैं जहां इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए वैक्सीन को अनुमति मिल चुकी है और वहां टीकाकरण शुरू भी हो चुका है।

चीन

ऐसा देश जहां से पूरी दुनिया में कोरोना का संक्रमण पहुंचा वह अब इससे उबर चुका है और वहां कई राज्यों में बड़ी संख्या में लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है। जानकारी की मुताबिक, वहां 15 जनवरी तक ढाई करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी।

रूस

रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-वी को दिसंबर में ही अनुमति मिल गई जिसके बाद वहां टीकाकरण अभियान शुरू हो गया। रूस में डॉक्टरों, शिक्षकों और सोशल वर्करों को वैक्सीन दी जा रही है। राजधानी मॉस्को में सामान्य लोगों के लिए भी वैक्सीन उपलब्ध है।

ब्रिटेन

यहां 7 दिसंबर से वैक्सीन लगनी शुरू हुई है और जानकारी के अनुसार करीब छह लाख लोगों को फाइजर की वैक्सीन लग चुकी है। स्वास्थ्यकर्मियों व 80 साल साल से ज्यादा उम्र के लोगों को पहले वैक्सीन दी जा रही है।

कनाडा

यहां भी फाइजर की वैक्सीन को अनुमति मिल चुकी है और सबसे पहले यहां स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े स्टाफ को वैक्सीन दी जा रही है।

अमेरिका

यहां दिसंबर में पहले फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन और फिर मॉडर्ना की वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिली। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन भी वैक्सीन लगवा चुके हैं।

इस्राइल

यहां भी दिसंबर से टीकाकरण शुरू हो चुकी है और सबसे पहले स्वास्थ्य कर्मचारियों और सैनिकों को वैक्सीन लगाई गई। फिर 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को बायोनटेक-फाइजर की वैक्सीन दी गई।

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स्विटजरलैंड

यहां भी फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन को दिसंबर के तीसरे हफ्ते में मंजूरी दे दी गई। पहले फेज में हेल्थ और इमरजेंसी सेवा से जुड़े कर्मचारियों और 75 साल से अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन दी जा रही है।

सबसे भरोसेमंद वैक्सीन

भारत में जिस वैक्सीन को सबसे अधिक विश्वसनीय माना जा रहा है वह है कोविशील्ड। उम्मीद जताई जा रही है कि जनवरी से अगस्त 2021 तक करीब 30 करोड़ लोगों को कोरोना की वैक्सीन लगा दी जाएगी। सरकार की योजना है कि वैक्सीन सबसे पहले जरूरतमंदों तक पहुंचे जिसमें फ्रंटलाइन वर्कर और उम्रदराज लोग पहले आते हैं। वैसे देश की आबादी देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि वैक्सीन के अप्रूवल के बाद सभी तक इसे पहुंचाना सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती होगी।

अगर भारत में वैक्सीन के स्टॉक की बात करें तो एक रिपोर्ट में आए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा बाताया गया था कि भविष्य में मिलने वाली वैक्सीन में से  से चार वैक्सीन पूरी तरह स्वदेशी होगी। वैक्सीन का इतना स्टॉक् होगा कि लोगों को मिल सकें। अधिकारियों ने यह भी बताया कि भारत सरकार कुछ स्थानीय और वैश्विक वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों के संपर्क में थी ताकि उन्हें अपनी ज़रूरतें बताई जा सकें और उनकी उत्पादन की क्षमता के बारे में जाना जा सके।  उन्होंने कहा, ”सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक इन दो कंपनियों के पास मिलाकर एक महीने में 6.5 करोड़ खुराक वैक्सीन बनाने की क्षमता है। अगर वैक्सीन कंपनियों को इजाज़त मिल जाती है तो भारत के पास वैक्सीन का बेहतर स्टॉक है।’’

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कौन सी वैक्सीनों के नाम पर है चर्चा?

अगर वैक्सीन के नाम और ब्रांड को लेकर बात करें तो  भारत के सीरम इंस्टीट्यूट और ब्रितानी फ़ार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राज़ेनेका के सहयोग से बनी कोविशील्ड वैक्सीन और कोवैक्सीन, जिसे भारत बायोटेक और आईसीएमआर ने बनाया है, की खब चर्चा में रहा  है। इन दोनों  ही वैक्सीन कंपनियों ने आपातकालीन इस्तेमाल के लिए आवेदन किया है। इसके अलावा कुछ  अन्य वैक्सीन के अभी ट्रायल खत्म होने का इंतजार किया जा रहा है।

कुछ वैक्सीन्स जो अभी ट्रायल के दौर में हैं, जैसे कि –

  • भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन।
  • अमरीका की वैक्सीन बनाने वाली कंपनी नोवावाक्स और सीरम इंस्टीट्यूट की ओर से तैयार की गई दूसरी वैक्सीन
  • हैदराबाद की कंपनी बायोलॉजिकल ई, एमआईटी के साथ मिलकर वैक्सीन तैयार कर रही है।
  • जाईकोव-डी. इसे अहमदाबाद की कंपनी ज़ाइडस कैडिला बना रही है।
  • रूस के जेमेलिया नेशनल सेंटर और डॉक्टर रेड्डी लैब की ओर से तैयार की गई स्पुतनिक वी वैक्सीन।

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कोरोना वैक्सीन को लेकर योजना

अधिकारी ने बताया कि अगले साल जनवरी से अगस्त महीने तक लगभग 30 करोड़ लोगों को कोरोना के टीके लगाए जाएंगे। इस प्रक्रिया में एक करोड़ स्वास्थ्य कर्मचारी शामिल होंगे, जिनमें पुलिसकर्मियों और नगर निगम के कर्मचारियों सहित फ्रंट लाइन पर काम करने वाले लोग शामिल होंगे। इसके बाद उन लोगों तक टीका पहुँचाया जाएगा जिनकी उम्र 50 साल से ज़्यादा है या जिन्हें दूसरी कई बीमारियां हैं। भारत पहले से ही लगभग चार करोड़ गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों को 12 तरह की बीमारियों से बचाने के लिए दुनिया की सबसे बड़ी टीकाकरण योजना चलाता है। भारत के पास ऐसे वैक्सीन को स्टोर करने की भी बेहतर क्षमता है। अधिकारियों की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार भारत में कुल दो लाख 23 हजार नर्सें और दाइयों में से एक लाख 54 हज़ार नर्सों और दाइयों को इस योजना में शामिल की जाएगी। ये डॉक्टर और नर्सेज को पहुंचाई जाएगी।  इसके अलावा नर्सिंग की पढ़ाई करने वाले आखिरी साल के छात्रों को भी वॉलिंटयरशिप लिए आमंत्रित किया जाएगा।

वैक्सीन के साइड के इफेक्ट

मौजूदा 29 हजार कोल्ड-स्टोरेज को वैक्सीन को सुरक्षित रखने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा क्योंकि ये वैक्सीन 2 डिग्री सेल्सियस से लेकर 8 डिग्री सेल्सियस तापमान में ही रखी और वितरित की जा सकती हैं। ऐसे में वैक्सीन के लिए एक कोल्ड-चेन बनानी होगा। इसके आलवा स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया है कि भारत में -80 डिग्री तक के बेहद ठंडे कोल्ड-स्टोरेज भी उपलब्ध हैं, जो हरियाणा के पशु चिकित्सा और कृषि से जुड़े रिसर्च सेंटर में बनाए गए हैं।इसके जवाब में डॉक्टर ने कहा, ”हमें पारदर्शी होना होगा और ऐसे साइड इफ़ेक्ट्स जैसे मामलों से सही तरीके से निपटना होगा. इसके लिए एक योजना तैयार भी की गई है। ”

भारत में भले ही कोरोना वायरस वैक्सीन (COVID-19 Vaccine) की इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी नहीं मिली हो, लेकिन इसकी तैयारियां अंतिम चरण में है। इसी के मद्देनजर आज और कल  टीकाकरण की व्यवस्थाओं के आकलन के लिए चार राज्यों में पूर्वाभ्यास होगा। ये चार राज्य पंजाब, असम, आंध्रप्रदेश और गुजरात हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी थी। इस दौरान वैक्सीन के कोल्डचेन से लेकर लोगों को लगाने तक की सभी प्रक्रिया परखी जाएगी। ताकि वैक्सीन वितरण से पहले खामियों को दूर किया जा सके।

अभ्यास में पूरी प्रक्रिया की ऑनलाइन निगरानी के लिए तैयार को-विन में आवश्यक डेटा भरने, टीम के सदस्यों की तैनाती, उनकी रिपोर्टिंग और शाम को होने वाली समीक्षा बैठक भी शामिल होगी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी। इसमें कोरोना वैक्सीन के लिए कोल्ड स्टोरेज और ढुलाई की व्यवस्था का परीक्षण भी शामिल होगा।टीकाकरण केंद्र पर भीड़ प्रबंधन और शारीरिक दूरी जैसी कोरोना संबंधी दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित कराने की प्रक्रिया को भी परखा जाएगा।

अभियान के दौरान चारों राज्यों के दो-दो जिलों में पांच अलग-अलग केद्रों पर अभ्यास होगा। जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, शहरी केंद्र, निजी अस्पताल, ग्रामीण इलाके के केंद्र इनमें शामिल हो सकते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार वैक्सीन लागने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित करने का काम तेजी से चल रहा है। जिल स्तर पर सबी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्रशिक्षण का काम पूरा हो चुका है।स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार वैक्सीन लगाने के लिए प्राथमिकता समूहों की पहचान हो गई है।

पहले चरण के दौरान 30 करोड़ लोगों का टीकाकरण होगा। इनमें तीन करोड़ स्वास्थ्यकमियों, सुरक्षाकमियों व सफाईकर्मियों के अलावा 50 साल से अधिक आयु के लगभग 27 करोड़ लोग शामिल होंगे। माना जा रहा है कि ऑक्सफर्ड की वैक्सीन को इस्तेमाल के लिए सबसे पहले मंजूरी मिल सकती है। सीरम इंस्टीट्यूट ने दवा नियामक को टीके के प्रभाव पर अतिरिक्त आंकड़े सौंप दिए हैं।

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